जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन
राममनोहर लोहिया अस्पताल में बीमारी के कारण ली अंतिम सांस

बतौर राज्यपाल मलिक की सिफारिश से पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से हटी थी धारा 370
LP Live, New Delhi: जम्मू कश्मीर, मेघालय, गोवा, बिहारऔर ओडिशा में राज्यपाल रह चुके सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया, वे 78 वर्ष के थे। वे पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। जम्मू कश्मीर में मलिक की सिफारिश पर ही 5 अगस्त 2019 धारा 370 हटी थी।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती सत्यपाल के निधन की पुष्टि उनके निजी सचिव केएस राणा ने की है। बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती 78 साल की उम्र में मंगलवार की दोपहर 1.10 बजे आखिरी सांस ली। मलिक रुप से यूपी के बागपत जिले में हिसावदा गांव के रहने वाले थे। सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है। साल 1989 से 1991 तक वे अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद रहे। जबकि 1980 से 1989 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। पिछले कुछ साल से वे मलिक विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। सत्यपाल मलिक पांच राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। 18 अगस्त 2020 से 3 अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 18वें राज्यपाल रहे। उसके बाद 3 नवंबर 2019 से 18 अगस्त 2020 तक गोवा के 18वें राज्यपाल रहे। 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के 10वें राज्यपाल रहे। 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक ओडिशा के भी राज्यपाल रहे। इसके अलावा सत्यपाल मलिक बिहार के 27वें राज्यपाल भी रह चुके हैं।

जम्मू कश्मीर से नाता
जम्मू कश्मीर का राज्यापाल बने सत्यपाल मलिक कभी मोदी सरकार के वह इतने भरोसेमंद थे कि उन्हें न सिर्फ बिहार, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय का राज्यपाल बनाया गया, बल्कि जनसंघ के जमाने से भाजपा का प्रमुख राजनीतिक वैचारिक एजेंडा रहे जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने में मलिक की अहम भूमिका रही। मसलन लंबे राजनीतिक जीवन में अनुच्छेद 370 हटाने के धुर विरोधी रहे सत्यपाल मलिक की बतौर जम्मू कश्मीर राज्यपाल की सिफारिश से ही उसे हटाया गया।
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक समाजवादी लोकदल धारा के छात्रों युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय नेता थे। 1967 में मेरठ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे सत्यपाल मलिक समाजवादी आंदोलन का प्रमुख युवा चेहरा थे। फिर वो चौधरी चरण सिंह के प्रिय शिष्य बने और 1947 में पहली बार बागपत क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। तब वो देश प्रदेश के सबसे युवा विधायक थे। लेकिन आज बागपत जिले में उनके गांव हिसावदा से शुरू हुई सत्यपाल मलिक की जीवन यात्रा आज नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में समाप्त हुई।
