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चंद्रयान-3 को चांद पर भेजकर इसरों ने रचा इतिहास

भारत के अंतरिक्ष अभियान में लिखा गया एक नया अध्याय

पीएम मोदी ने इसरों के सभी वैज्ञानिकों के समर्पण को किया सलाम 
LP Live, New Delhi: देशवासियों को जिस खासदिन का इंतजार था, उस घड़ी शुक्रवार के दिन को खास बनाकर इसरो ने चन्द्रयान-3 को चन्द्रमा के सफर पर रवाना करके इतिहास रच दिया है। यानी भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक एक नया अध्याय लिखा गया है। चंद्रयान-3 के सफल लॉन्च करने पर पीएम मोदी ने भी वैज्ञानिकों के समर्पण को सलाम किया है।

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए आज का दिन बेहद खास दिन के रुप में जाना जाएगा, जिसका पूरा देश लंबे समय से इंतजार कर रहा था। मसलन इस दिन को खास बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 का सफल लॉन्च किया। एलवीएम3-एम4 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे उड़ान भरी। इसरो प्रमुख एम. सोमनाथ और उनका दल इस मेहनत की कामयाबी की नियंत्रण कक्ष से जानकारी मिलते ही खुशी से झूम उठा। चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग कंट्रोल रूम में बैठे सभी वैज्ञानिकों और हर देशवासी के लिए खुशी का क्षण था। प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल तो मिशन के बारे में बताते-बताते फूले नहीं समा रहे थे। अपने सहयोगियों को बधाई दी,लेकिन उनके चेहरे पर इस पल की खुशी साफ देखी जा रही थी। मिशन की कामयाबी का वीडियो आते ही देशवासी भी खुशी से झूम उठे।

सबकुछ सामान्य रहा तो…..
इस सफल परीक्षण के बाद इसरो प्रमुख ने जानकारी दी कि अगर सबकुछ ठीक और सामान्य रहा तो तो चंद्रयान-3 23 अगस्त के आस-पास चंद्रमा की सतह पर भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 47 मिनट कदम रखेगा। सबसे विश्वसनीय रॉकेट एलवीएम3-एम4 से छोड़े गया चंद्रयान-3 चांद के चारों ओर 41 दिन तक चक्कर लगाएगा, जिसके बाद यह चंद्रमा की सतह पर लैंड कराया जाएगा। चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा, जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता। लगभग 175 किमी ऊपर की ओर चंद्रयान-3 के अलग होने की प्रक्रिया शुरू होगी। जिसका मतलब सेपरेशन से है। इसके बाद 176वें किमी में सी25 को इग्नाइट किया जाएगा और फिर 179.19 किमी की ऊंचाई पर सैटेलाइट सेपरेशन होगा। सीक्वेंस-2 के पूरा हो जाने के बाद चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा और चंद्रमा की धुरी में चक्कर लगेगा। इसके बाद डी-बूस्ट होगा और फिर लैंडिंग फेज की शुरुआत होगी।

चंद्रयान-3 की विशेषताएं
देश की धरती से उड़ान भर चांद तक का सफर तय करने वाले चंद्रयान-3 की खासियत भी देखने लायक है। लंबाई की बात करें तो चंद्रयान-3 43.5 मीटर लंबा है। इसका वजन 640 टन है। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट में लैंडर का वजन 1.7 टन, प्रोपल्शन का वजन 2.2 टन और लैंडर के अंदर मौजूद रोवर का वजन 26 किलो है। चंद्रयान-3 में महज लैंडर और रोवर ही हैं और उनके नाम में भी कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। पिछली दफा यानि की चंद्रयान-2 के दरमियां लैंडर को ‘विक्रम’ और रोवर को ‘प्रज्ञान’ नाम दिया गया था और इस बार भी लैंडर और रोवर का यही नाम है। चंद्रयान-3 की मदद से इसरो चंद्रमा पर पानी और खनिज की मौजूदगी की जांच करने का प्रयास करेगा। अगर दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज मिलता है तो यह विज्ञान के लिए बड़ी सफलता मानी जाएगी। नासा का अनुमान है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां कई और खनिज संप्रदा मौजूद हो सकती है।

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