सुविख्यात साहित्यकार एवं समाजशास्त्री पद्मश्री डा. श्याम सिंह शशि का निधन
ग्रामीण परिवेश से वैश्विक शिखर छूने वाले साहित्यकारों में शुमार रहे शशि


LP Live, New Delhi: हिंदी साहित्य एव समाज में ग्रामीण परिवेश से वैश्विक शिखर को छूने वाले वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक, समाजशास्त्री पद्मश्री डा. श्यामसिंह शशि का बुधवार को नई दिल्ली के सफदर इन्क्लेव स्थित आवास पर निधन हो गया। उनके निधन की खबर से साहित्य और सामाजिक जगत में शोक जताया जा रहा है।
डॉ श्याम सिंह ‘शशि’ का जन्म 1 जुलाई 1935 को हरिद्वार के बहादुरपुर गांव में हुआ था। जूनियर हाई स्कूल से उच्च शिक्षा तक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने वाले डा. शशि ने एक सरकारी कर्मचारी के रूप में अपना करियर शुरू करते हुए। अपनी सेवा के बीच में ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ प्रकाशन विभाग के महानिदेशक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर एंड लैंग्वेजेज में उनके मीडिया रिसर्च और इनसाइक्लोपीडिया डिवीजनों के अध्यक्ष के रूप में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने कथित तौर पर मानविकी और सामाजिक विज्ञान का विश्वकोश, भारतीय जनजातियों का विश्वकोश (12 खंड), विश्व महिलाओं का विश्वकोश (10 खंड) और इनसाइक्लोपीडिया इंडिका (150 खंड) का संपादन किया। एक हिन्दी साहित्यकार तथा समाजविज्ञानी के रुप में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा था। साल 2012 में उन्हें सर्बिया रिपब्लिक की राजधानी बेलग्रेड में नवगठित अंतरराष्ट्रीय रोमा संस्कृति विश्वविद्यालय का अध्यक्ष व कुलाधिपति मनोनीत किया गया है।
साहित्य पर अनेक शोध हुए
डॉ॰ शशि के साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से अनेक एम.फिल, पी.एचडी. आदि के लिए शोधकार्य हुआ है। उनके महाकाव्य ‘अग्निसागर’ पर 1993 में दूरदर्शन पर दस एपीसोड का एक सीरियल भी प्रसारित हो चुका है। उन्होने ‘समाजविज्ञान हिन्दी विश्वकोश’ की दो खण्डों में रचना की है। इसके अलावा उन्होने 300 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से मैन मैनेजमेंट और मैनपावर प्लानिंग में मास्टर डिग्री की और हिमालयन नोमैड्स पर अपनी थीसिस के लिए आगरा यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की, जिससे वे यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी करने वाले पहले व्यक्ति बन गए। शशि के डॉक्टरेट सलाहकार सामाजिक वैज्ञानिक आरएन सक्सेना थे। ]
इन संस्थाओं से जुड़े रहे
अंतरांष्ट्रीय शोध संस्थान, नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं सुविख्यात साहित्यकार डा. शशि अभी तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में विजिटिंग प्रोफेसर, अंतर्राष्ट्रीय बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय घुमंतू अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर के संग्रहित कार्यों के मानद संपादक के रूप में कार्य किया, जिसे भारत सरकार द्वारा आठ भारतीय भाषाओं में प्रकाशित किया गया था। वह दिल्ली गौरव पुरस्कारों के निर्णायक मंडल के सदस्य हैं।
पुरस्कार और सम्मान
‘पद्मश्री’ की उपाधि के अलावा उन्हें भारत सरकार, दिल्ली सरकार, बिहार शासन, उत्तर प्रदेश सरकार, हिमाचल प्रदेश, नागरी प्रचारिणी सभा, बालकल्याण संस्थान, विश्व हिंदी समिति, न्यूयार्क (अमरीका), यू.के. हिंदी समिति लंदन हगेरियन कांग्रेस, मॉरीशस सरकार, रोमा विश्व यूनियन सम्मान बेल्ग्रेड आदि देश-विदेश की अनेक सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
प्रमुख प्रकाशन
हिंदी साहित्य जगत के पुरोधा डा. श्यामसिंह शशि की प्रकाशित सैकड़ो पुस्तकों में प्रमुख रुप से कविता-लाल सवेरा, एकादशी, भूदान दशक, प्रणय-पूर्णिमा, लहू के फूल, शिलानगर में, एक दधीचि और, यायावरी, ढाई आखर, अग्निसागर, आपके लिए, विश्व कविता की और एकलव्य तथा अन्य कविताएँ, अग्निसागर तथा अन्य कविताएँ, सागर तीरे (कविता-संग्रह), संपादन-आस्था के स्वर, युद्ध के स्वर प्रेम की लय, विविध-हमारा समाज, भारत की पशुपालक जातियाँ, सामाजिक विज्ञान प्रलेख कोश, राजभाषा कोश भारत के यायावर, हिमालय के यायावर, रोमा विश्व के यायावर, इतिहास बनती यात्राएँ, सूर्यमंदिरों की खोज में, सामाजिक विज्ञान हिंदी विश्वकोश (तीन खंड), जीवन पथ पर; बालसाहित्यसफलता और सफलता, समाज के सुपुत्र, आज के अस्त्र-शस्त्र, मेहनत ही ज़िंदगी है, अच्छे बच्चे कितने सच्चे, नन्हे सैनिक, वनवासी बच्चे कितने सच्चे, देश-देश में रोमा बच्चे; हिंदी तथा अँग्रेजी में एनसाइक्लोपीडिया इंडिका 200 खड) तथा वर्ल्ड ऑफ नोमेडस शामिल है।
