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सुप्रीम कोर्ट का सीएए पर रोक लगाने से इंकार

सीएए नागरिकता नहीं छीनता, 6 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर जवाब के लिए केंद्र सरकार को दिया तीन सप्ताह का समय
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने देश में लागू हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन सप्ताह में रोक लगाने वाली याचिकाओं पर जवाब मांगा है। इस मामले में दाखिल 200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार के देश में लागू किये गये सीएए कानून पर दाखिल 200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना निर्णय सुनाया है और कहा कि सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनता है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को करेगी। इस पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। अदालत ने केंद्र सरकार से सीएए पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि यह (सीएए) किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उन्हें उन आवेदनों पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए, जिसमें शीर्ष अदालत द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक नियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दिया है।

दाखिल हुई दो सौ से ज्यादा याचिकाएं
शीर्ष अदालत विवादास्पद कानून से जुड़ी 200 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसे संसद द्वारा मंजूरी दिए जाने के लगभग चार साल बाद 15 मार्च को लागू किया गया था। इन याचिकाओं में सीएए और नागरिकता संशोधन नियम 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केरल स्थित इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर एक याचिका का उल्लेख करते हुए कहा था कि विवादास्पद कानून को लागू करने का केंद्र का कदम संदिग्ध था, क्योंकि लोकसभा चुनाव तेजी से नजदीक आ रहे हैं। कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। यह भी तर्क दिया गया है कि इस तरह का धार्मिक अलगाव बिना किसी उचित भेदभाव के है और अनुच्छेद 14 के तहत गुणवत्ता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

विरोधी दलों की मांग
विरोधी दल के नेता में आईयूएमएल के अलावा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं में तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा शामिल हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटीजन्स अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और असोम जातियताबादी युवा छात्र परिषद (एक क्षेत्रीय छात्र संगठन), डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने भी सीएए नियम, 2024 को चुनौती दी है।

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