

बैठक की कार्यवाही स्थगित, अब 27 जनवरी को होगी जेपीसी की बैठक
LP Live, New Delhi: वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बैठक में बिल पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच नोकझोंक के बाद हुए हंगामे के बाद विपक्ष के दस सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
संसद में वक्फ संशोधन विधेयक को जेपीसी को सौंपा गया था, जिसकी शुक्रवार को हुई बैठक में इस बिल को लेकर चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे के कारण बैठक को 27 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया। संयुक्त संसदीय समिति में शामिल विपक्ष के सांसदों ने आरोप लगाया कि बैठक में उन्हें सुना नहीं जा रहा है। इस दौरान टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच तीखी बहस हुई और यह नोकझोंक ऐसे हंगामे में बदल गई, कि बैठक में मार्शलों को बुलाना पड़ा। बैठक में कश्मीर के धार्मिक प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक को बुलाने से पहले समिति के सदस्यों ने आपस में चर्चा की, जो हंगामेदार हो गई। विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि भाजपा दिल्ली चुनावों को ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को शीघ्र स्वीकार करने पर जोर दे रही है। अपराजिता सारंगी ने कहा कि सरकार द्वारा हम सभी के सामने 44 संशोधन रखे गए हैं और इन सभी संशोधनों पर कई बार विचार-विमर्श किया गया है। अब अध्यक्ष चाहते हैं कि ये दोनों संगठन अपने विचार रखें।

इन सांसदों को किया गया निलंबित
बैठक के दौरान भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे समिति ने स्वीकार कर लिया। इसलिए समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने इस प्रस्ताव के मुताबिक विपक्ष के दस सांसदों को एक दिन के लिए समिति से निलंबित कर दिया है। इन निलंबित सदस्यों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नसीर हुसैन, मोहिबुल्लाह, मोहम्मद अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीम-उल हक, इमरान मसूद हैं। बैठक से निलंबन के बाद तृणमूल सदस्य कल्याण बनर्जी और कांग्रेस सदस्य नसीर हुसैन बाहर जाकर मीडिया से बातचीत की। उन्होंने मांग की है कि प्रस्तावित संशोधनों की खंड-दर-खंड जांच के लिए 27 जनवरी को होने वाली बैठक को 30 जनवरी या 31 जनवरी तक के लिए टाल दिया जाए। जेपीसी की बैठक 27 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
आरोप प्रत्यारोप का दौर
जेपीसी बैठक में हंगामे को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि विपक्ष, खासकर ओवैसी जी का मानना था कि जम्मू-कश्मीर का पूरा प्रतिनिधित्व नहीं सुना गया, और चुने हुए प्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए था। आज की बैठक जिसमें चर्चा होनी थी। विपक्ष के सुझाव के आधार पर अध्यक्ष ने स्थगित कर दी। लेकिन, मीरवाइज के सामने इन लोगों ने हंगामा किया, दुर्व्यवहार किया और संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ काम किया। वहीं टीएमसी सांसद कल्याणा बनर्जी ने कहा कि बैठक में जो हो रहा है, वह अघोषित आपातकाल की कार्यवाही की तरह है। वे दिल्ली चुनावों के कारण चीजों को जल्दी करने की कोशिश कर रहे हैं। यह राजनीति से प्रेरित है। अध्यक्ष किसी की नहीं सुनते। यह ‘जमींदारी’ की तरह है। वे विपक्षी सदस्य होने का कोई सम्मान नहीं करते। यह जेपीसी एक तमाशा बन गया है। उन्होंने बार-बार 30, 31 जनवरी को बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया, लेकिन हमारी मांग नहीं सुनी गई। जब हम कल रात दिल्ली पहुंचे, बैठक का विषय बदल दिया गया।
