राज्यसभा में पेश हुआ चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का विधेयक
विपक्ष ने बिल के विरोध में किया जबरदस्त हंगामाf


विधेयक में सीजेआई के स्थान पर कैबिनेट मंत्री को पैनल में रखने का प्रावधान
LP Live, New Delhi: राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबन्धित एक विधेयक को पेश किया, जो लोकसभा में पारित किया जा चुका है। इस विधेयक में इन नियुक्तियों के पैनल से मुख्य न्यायाधीश को अलग करने का प्रावधान होगा। सदन में इस विधेयक के विरोध में विपक्षी दलों के सांसदों ने वेल में आकर जबरस्त नारेबाजी कर हंगामा किया।
लोकसभा में गत सात अगस्त को पारित किये गये मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक 2023 को संशोधन के लिए गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जैसे ही इस विधेयक को पेश किया तो विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसका विरोध कर हंगामा शुरु कर दिया। हंगामा कर रहे सांसदों ने वेल में आकर जबरस्त नारेबाजी भी की। लेकिन इस शोरशराबे के बीच इस विधेयक को पारित कराने के लिए सदन में पेश कर दिया गया। इस विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की समिति की सिफारिश के आधार पर की जाएगी। यानी इन नियुक्तियों के पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। वेल में सांसदों को आने से रोकने के लिए गार्ड तैनात कर दिये गये, लेकिन हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट का बदलेगा फैसला
केंद्र सरकार के इस विधेयक के पारित होते ही सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला बदल जाएगा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में दिये गये एक फैसले में आदेश दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाने के लिए इनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी। यह फैसला न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक सर्वसम्मत से किया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मानदंड को तब तक लागू होने की बात कही थी, जब तक संसद में इसके लिए कोई कानून नहीं बन जाता।
फार्मेसी (संशोधन) विधेयक पारित
राज्यसभा में इससे पहले फार्मेसी अधिनियम, 1948 में संशोधन के लिए फार्मेसी (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित कर दिया गया। यह विधेयक भी लोकसभा में 7 अगस्त को पारित हुआ था। इस विधेयक में फार्मेसी नियमों में संशोधन किये गये हैं।
