सीटों का परिसीमन कर आयोग तय करेगा महिला सीटें
LP Live, New Delhi: लोकसभा से पारित किये गये महिला आरक्षण संबन्धी विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। इस विधेयक पर उच्च सदन में चर्चा भी शुरु हो गई है। एक दिन पहले ही महिला आरक्षण बिल (128 संविधान संशोधन विधेयक) को मंजूरी मिली है।
संसद के विशेष सत्र में गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरु होने के बाद केंद्रीय केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल (128 संविधान संशोधन विधेयक) पेश कर दिया है। पहले ही लोकसभा से पारित इस विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है। उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम से लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें नारी शक्ति के लिए आरक्षित की जाएगी। संसद से पास होने के बाद जनगणना होगी और सीटों का परिसीमन किया जाएगा, जो एक संवैधानिक प्रक्रिया है। वहीं उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से एससी एसटी वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाएगा, इसलिए जनगणना और डीलिमिटेशन आवश्यक है। कांग्रेस
महिला सांसद ने की चर्चा की शुरुआत
राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने की। उन्होंने कहा कि आपने इसे नारी शक्ति वंदन विधेयक नाम दिया है। महिलाओं को वंदन नहीं, समानता का अधिकार चाहिए। उन्होंने कहा कि आपकी सरकार में महिलाओं की कितनी वंदना होती है, यह हमको मालूम है। जब आपको सत्ता पाने की जरूरत होती है, तब आप महिलाओं को देवी बनाकर उसकी पूजा करने लगते हैं। वहीं भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं पर अहसान नहीं बल्कि उनका वंदन और अभिनंदन है। अगर ये बिल आज पास होता है तो 2029 तक यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। इस पर खड़गे ने कबीर का दोहा ‘काल करे सो, आज कर’ सुनाया और तुरंत आरक्षण लागू करने की मांग की। जेपी नड्डा ने जवाब दिया कि भाजपा का उद्देश्य राजनीतिक फायदा लेने का नहीं है। सरकार नियमों से काम करती है और पक्का काम करने में विश्वास रखती है। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो सिल्वर स्पून के साथ पैदा होते हैं, उन्हें गरीबों की परेशानियां नहीं पता होतीं। एक लीडर को लीडर बनना पड़ता है, सिखाए हुए बयान देने से काम नहीं चलता। राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के बाद गुरुवार को ही इसके पारित होने की उम्मीद है।
परिसीमन की व्यवस्था का प्रावधान
उन्होंने कहा कि संविधान के आर्टिकल 82 में पहले से ही प्रावधान है, डीलिमिटेशन की व्यवस्था दी गई है। उन्होंने कहा कि यह बिल पास होगा, जनगणना होगी, डीलिमिटेशन होगा। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है। कौन सी सीट महिलाओं को दी जाएगी यह डीलिमिटेशन आयोग तय करेगा। इसके लिए आयोग सभी हितधारकों से विचार विमर्श करेगा। गौरतलब है कि सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया है जिसे लोकसभा पारित कर चुकी है और सरकार ने आशा जताई है कि गुरुवार को इस विधेयक को राज्यसभा में भी पारित कर दिया जाएगा।