मुजफ्फरनगर थप्पड़ प्रकरण: सुप्रीम कोर्ट से यूपी पुलिस को फटकार
मामले की जांच एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से कराने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज एफआईआर से आरोप हटाने पर जताई आपत्ति, शिक्षिका की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में एक शिक्षिका के निर्देश पर सहपाठी द्वारा एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के मामले दर्ज एफआईआर से आरोप हटाने के लिए यूपी पुलिस को फटकार लगाई और इस मामले की जांच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से कराने के निर्देश दिये। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल में शिक्षक के निर्देश पर एक मुस्लिम छात्र को अन्य छात्रों द्वारा थप्पड़ मारने के मामले की सुनवाई की। इस मामले में यूपी सरकार और पुलिस को फटकर लगाई और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से घटना हुई है, उसने राज्य की अंतरात्मा को झकझोरा है। यही नहीं कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है, तो इसका मतलब है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने यह निर्देश महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिये और यह भी निर्देश दिये सरकार राज्य भर के स्कूलों में आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ये मामला यूपी सरकार की शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में विफलता का मामला है, जो 14 साल तक के बच्चों को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने से संबंधित है। यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने अदालत को बताया कि मामले में ‘सांप्रदायिक कोण’ को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।
सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा नामित एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से कराने को कहा गया है और उक्त अधिकारी मामले जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दाखिल करेगा। गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर पुलिस ने सांप्रदायिक टिप्पणी करने और कथित तौर पर अपने छात्रों को होमवर्क न करने पर एक मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने का आदेश देने के आरोपी शिक्षक पर मामला दर्ज किया था। मामले के संबंध में राज्य शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल को नोटिस भी भेजा गया था। इस मामले में शिक्षिका की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
याचिका में क्या मांग की गई
अदालत महात्मा गांधी के परपोते की जिस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें संबंधित स्कूल शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने मामले की समयबद्ध और स्वतंत्र जांच के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित बच्चों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए स्कूलों द्वारा उपचारात्मक कार्रवाई करने की मांग की। याचिकाकर्ता ने अदालत से राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया कि सभी लागू आपराधिक कानून प्रावधानों को लागू करके एक आपराधिक मामला दर्ज किया जाए, न कि केवल अपेक्षाकृत हानिरहित अपराधों के आधार पर। याचिकाकर्ता ने कहा कि अधिकारियों को स्कूल शिक्षक की गिरफ्तारी सहित सभी परिणामी कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए। विवाद के केंद्र में शिक्षक तृप्ता त्यागी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने एक मुस्लिम छात्र के धर्म का उल्लेख किया था और मुस्लिम बच्चों के बारे में अपमानजनक बातें की थीं, जबकि अपने सहपाठियों से उसे बहुत पीटने के लिए कहा था। इस घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। हालांकि जिले के खुब्बापुर गांव में संबंधित निजी स्कूल स्कूल को बाद में सील कर दिया गया।