सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने पर बोली द्रौपदी मुर्मू
देशभर की अदालतों में लंबित पड़े हुए है 4.46 करोड़ से ज्यादा मामले
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित न्यायालय के दो दिससीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायालयों से तारीख पर तारीख बदलने की संस्कृति को बदलने पर जोर दिया और कहा कि न्यायालय त्वरित न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करें।
यहां भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय जिला न्यायापालिका राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के नए झंडे और प्रतीक चिह्न का अनावरण किया। इस मौके पर बोलते हुए द्रौपदी मुर्मू ने न्यायालयों से त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने पर बल देते हुए कहा कि देशभर के न्यायालयों में बड़ी संख्या में लंबित पड़े मामलों के निपटान एक बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए न्यायालयों को तारीख पर तारीख की संस्कृति बदलने के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है, ताकि लोगों को त्वरित न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वे न्याय की रक्षा करें।
उन्होंने अदालती माहौल में आम लोगों का तनाव का स्तर बढ़ जाता है, जिसे उन्होंने ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम नाम दिया। उन्होंने इस विषय पर अध्ययन का भी सुझाव दिया। उन्होंने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में बढ़ोतरी पर भी प्रसन्नता जताई। कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत मंडपम में हुए कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट का ध्वज और प्रतीक चिह्न भी जारी किया।
देशभर में 4.46 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से अदालतों में लंबित मामलों का निपटान तेजी से हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद आज तक देशभर में निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक की अदालतों में 4.46 करोड़ से भी ज्यादा मामले लंबित पड़े हुए हैं। इनमें 2.86 करोड़ से ज्यादा तो पिछले एक साल के ही मामले शामिल हैं। अदालतों में लंबित पड़े मामलों में 3.37 करोड़ से ज्यादा आपराधिक तथा करीब 1.10 करोड़ सिविल मामले शामिल हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट में ही 82,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 65159 सिविल तथा 17825 आपराधिक मामले लंबित हैं। इसी प्रकार देश की हाई कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 59.43 लाख से ज्यादा है, जिनमें 43.32 लाख से ज्यादा सिविल और 16.11 से ज्यादा आपराधिक मामले शामिल हैं। जबकि निचली अदालतों में सबसे ज्यादा लंबित पड़े मामले आराधिक हैं।